Archit Savarni

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रिश्तो की बदलती तस्वीर

   रिश्तो की बदलती तस्वीर
प्रत्येक रिश्ते की बुनियाद प्रेम से हैं,
पर रिश्ते ज्यादातर स्वार्थ ढूंढते हैं!
जो रिश्ते महकते थे फूलों की तरह कभी,
वह रिश्ते बिखरते गए बेबसी की हवाओं में कहीं!
जिन रिश्तो संग साथ मिलकर हम हंसते रोते थे,
वही रिश्ते आज बनावटी हंसी और आंसुओं में बदल गई कहीं!
जीवन में सबसे बड़ा साथ रिश्तो का होता है,
पर आज वही रिश्ते जिंदगी के कई मोड़ पर छूट जाते हैं कहीं!
मतलबी बनने पर बेबस हैं कई रिश्ते यहां,
कहीं प्रीत की तलाश में, कई रिश्ते ढूंढते हैं अपना आशियां!
जब दुख दर्द पुकारता है किसी के सांत्वना के लिए,
पर बेसहारा कहीं दिल टूट जाता है उन झूठे रिश्तो के लिए!

एक झूठी तस्वीर लेकर हम जीते हैं यहां सालों साल ,
रिश्तो की बदलती तस्वीरों ने, दिखला दिया कि,
सब कुछ होने के बावजूद भी ,

इस दुनिया के महफिल में हम गुमशुदा है कहीं!!

तो क्यों ना एक नई शुरुआत हो,
फिर से वही अनुराग और राग हो!
तो क्यों ना रिश्तो में हम एक दूसरे का सहारा बने,
किसी के पतझड़ में भी बसंत का सहारा बने!
चमकती हुई रागनी से सबका आशियां सजे,
एक नई सुबह का चारों तरफ आगाज रहे!
क्यों ना इस दुनिया के अकेलेपन से हम बाहर आएं,
सभी रिश्तो का साथ पाकर अपनी दुनिया को स्वर्णिम बनाएं!!
                  -अर्चित सावर्णि✍

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3 Comments

Swati chourasia

30-Jun-2022 01:14 PM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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Raziya bano

25-Jun-2022 07:21 AM

Beautiful

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Renu

24-Jun-2022 09:13 PM

👍👍 very nice

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